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लेखनी प्रतियोगिता -05-May-2022

हमारे इश्क का तो,
कोई रंग नहीं था।
उसमें तलाशते रहे,
इंद्रधनुष की रंगीनियाँ।

हमारे इश्क में तो,
कोई गंध नहीं थी।
आप ढ़ूँढ़ते रहे उसमें,
गुलमोहर की खुशबू।

हमारा इश्क था बेइंतहा,
और बेइंतहा ही रहेगा।
आप तलाशते रहे,
क्यूं हदें उसकी???

हमारा इश्क बेसबब - -
बेवजह ही तो था।
आप तलाशते रहे,
कोई मतलब उसमें।

जाने क्यों-- ?????
पर अब और नहीं।
आपकी यह बेरुखी,
नहीं जायेगी सही।

भले ही आपको हमसे,
हमारे जैसी चाहत नहीं।
फिर भी इन आंखों में,
आपसे शिकायत नहीं।

कहीं तो जरूर मिलेंगे हम,
बनाए रखना ये विश्वास।
जब दिलों में हो चाहत,
तो कभी होना मत हताश।


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15 Comments

Haaya meer

06-May-2022 05:34 PM

👌👌

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Muskan khan

06-May-2022 05:16 PM

Very nice

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Sachin dev

06-May-2022 05:02 PM

Nice

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